ज़िंदगी की एक झलक: अलविदा केके

ज़िंदगी की एक झलक: अलविदा केके

एक सूरज  था की तारों के घराने से उठा 
आँख हैरान है क्या शख्स ज़माने से उठा  
-परवीन शाकिर 

इस दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें हम अपनी प्रेरणा मानते हैं, ज़िंदगी में उनके सफ़र के बारे में सुन कर और देख कर हम सीखते हैं की हमें कौन सी गलतियां नहीं करनी हैं। अगर संघर्ष को हम बहुत करीब से समझ सकते हैं तो वो एक कलाकार की पूरी ज़िंदगी के बारे में जान कर समझ पाना संभव है। ऐसा नहीं है की बाकी लोगो की ज़िन्दगी में परेशानियां नहीं होतीं, लेकिन परेशानियों से लड़ने की ताकत जो कलाकारों में होती है, वो सराहनीय है। अपने सपनो के शिखर पर पँहुच कर भी वे नहीं छोड़ते हैं अपनी कला से प्रेम करना। जीवन का लक्ष्य और मरते दम तक साथ ले कर चलते हैं कला के प्रति प्रेम। 

अगर आपने कल की खबर पढ़ी हो तो आपको पता चल ही गया होगा की हिंदी गानों के मशहूर गायक और करोड़ो भारतियों के ज़िंदगी पर अपनी आवाज़ का जादू बिखेरने वाले कृष्ण कुमान कुन्नथ (जिन्हें दुनिया केके कहती थी), मंगलवार 31 मई यानी की कल दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह कर चले गए।ख़बर आई की कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनकी जान चली गई। ख़बर सुर्ख़ियों में आते ही उन के फैंस के बिच सन्नाटा छा गया। 

हमको खड़कपुर रुक जाना चाहिए था भइया 

ईयर फ़ोन और MP3 प्लेयर में आँखो में तेरी, बीते लम्हें, लबों को लबों से, जैसे कई गाने सुन के बड़े हुए।  किस्मत से एक दोस्त मिला जो केके की आवाज़ और उनकी सादगी का दीवाना था। कल रात जब ख़बर मिली तो कुंदन को फ़ोन किया और बताया। थोड़ी देर कॉल के दोनों ओर शान्ति रही।  धीमी और कांपती हुई आवाज़ ने कहा, भैया उस दिन हमको खड़कपुर रुक जाना चाहिए था, अब ताउम्र ये अफ़सोस रहेगा की केके को सामने से कभी नहीं सुन पाए। ''भइया अब मोबाइल पर नोटिफिकेशन नहीं आएगा, ''केके इज़ लाइव।'' उसकी बात सुन के हम क्या कहते, बस 'अपना ख्याल रखना' बोल कर हम फ़ोन काट दिए।  दुनिया बहुत बड़ी है, शायद मेरे और कुंदन से बड़े और कई फैन होंगे, जो उदास होंगे, अफ़सोस में होंगे।  

जादुई आवाज़ के धनी कृष्ण कुमान कुन्नथ से केके बनने के सफ़र

23 अगस्त 1968 में केके उनका जन्म केरला में हुआ लेकिन उनका पूरा बचपन दिल्ली में बिता जहाँ उन्होंने अपनी शुरआती शिक्षा और गग्रेजुएशन भी पूरी 
की। 

प्यार के डॉक्टर, केके

बचपन में हमें पता नहीं होता की हमें कहाँ जाना है, जीवन में क्या करना है। समय के साथ, धीरे-धीरे हम समझ जाते हैं की हमारा लक्ष्य क्या है। केके की आरज़ू गायक बनने की नहीं, बल्कि डॉक्टर बनने की थी।  किशोर कुमार और आर डी बर्मन को अपना संगीत गुरु मानने वाले केके ने संगीत का रास्ता पकड़ा और आगे बढ़ गए, अपने ग्रेजुएशन के दौरान केके ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक बैंड भी बनाया। हिंदी सिनेमा में आने से पहले केके ने 3 हज़ार से भी ज़्यादा जिंगल एडवर्टिसमेंट बनाए थे। भारतीय क्रिकेट टीम के 1999 विश्वकप के दौरान उन्होंने समर्थन के तौर पर ''जोश ऑफ़ इंडिया'' गाना गाया। पल नामक एल्बम के लिए केके को स्टार स्क्रीन अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसका एक लोकप्रिय गाना ''यारों'' था, वो भी 2000 के दौरान में आया।  


मेरा परिवार ही मेरी ताकत है

जब हमें मालुम होता है हमारा लक्ष्य क्या है, तो हम किसी भी काम को बहुत ज़िम्मेदारी से करते हैं, हमें मालुम होता है की हमें कब कौन से फैसले लेने हैं। वर्ष 1991 में केके ने अपनी बचपन की दोस्त ज्योति से शादी रचाई।  केके एक ज़िम्मेदार व्यक्ति थे। उनका खाली वक़्त हमेशा अपने परिवार के साथ बीता। एक इंटरव्यू में केके ' मेरा परिवार ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है वो मुझे हर कमजोरी से लड़ने की ताकत देता है।  

 

3000 से अधिक विज्ञापनों को लिए गाने गाए 


केके को संगीत जगत में यूटीवी ने पहला ब्रेक दिया, उस दौरान उन्होंने 11 भारतीय भाषाओं में 3000 से अधिक विज्ञापनों के लिए काम किया, उन्हें विज्ञापन का पहला काम लेस्ली लेविस ने दिया जिन्हें केके अपना गुरु मानते थे। उन्हें बॉलीवुड में गाने का पहला मौका प्रिसद्ध फिल्म निर्देशक विशाल भरद्वाज ने दिया, जिसमे उन्होंने लोकप्रिय गीत, ''छोड़ आये हम वो गलियां'' से माचिस फिल्म के इस गीत को अमर कर दिया। जिसके बाद उन्हें ''हम दिल दे चुके सनम'' में अपना पहला सोलो गाना गाने का मौका मिला, उस गाने को भी खूब  प्रसिद्धि मिली। 

मेरे गीत अमर कर दो 

संगीत को अपना जीवन समर्पित कर देने वाले कृष्ण कुमान कुन्नथ ने अपनी अंतिम साँस भी संगीत को समर्पित कर दी।  कोलकाता के एक में केके को मृत घोषित क्र दिया गया। कलाकार कभी नहीं मरते, वे अमर रहते हैं, अपनी कला में।  उन्हें ज़िंदा रखते हैं हम, उनकी सराहना कर के, उनके गानों को सुनकर, गाकर। दिल दुखी है की केके अब हमारे बिच नहीं रहे।

यूँही कहीं  गिटार लिए एक लड़का गुनगुनाएगा ''आँखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं हैं'', और ले आएगा वापस केके को, उस महफ़िल में उनके गानों में। क्यूंकि कलाकार मरते नहीं, वे अमर हो जाते हैं, अपनी कला में हमेशा ज़िंदा रहते हैं। कुंदन, तुम्हें शायद इंस्टाग्राम पर ''केके इज़ लाइव'' अब ना दिखे, लेकिन उनकी आवाज़ हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी।  हमारी ज़िंदगी गुलज़ार करने के लिए शुक्रिया, केके।  क्या खूब जिए....जीते रहोगे हमारे स्पॉटीफ़ाइ प्लेलिस्ट और दिलों में 
 
मेरे कुछ पसंदीदा गाने 
पल
तड़प-तड़प के
सच कह रहा है दीवाना
आवारापन बंजारापन 
आशाएं
तु ही मेरी शब है
क्या मुझे प्यार है
लबों को
जरा सा
खुदा जानें
दिल इबादत
है जूनून
जिंदगी दो पल की
मै क्या हूँ
हां तू है, अभी-अभी 
हा तुझे सोचता हूँ
इंडियावाले , 
तू  जो मिला,
साँसों के किसी एक मोड़....और भी..... लम्बी लिस्ट है