रुई बेचने से हुई कमाई की शुरुआत, विनोद के किरदार ने जीता सबका दिल
ग्राम फुलेरा, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश पर निर्धारित ऐमेज़ॉन की वेब सीरीज़ पंचायत 2 जनता के बीच खुब चर्चा बटोर रही है । इसकी सफलता के पीछे अगर किसी एक शख्स का नाम लें तो वो नाइंसाफी होगी, क्योंकि सब ने अपने अपने हिस्से को बखूबी निभाते हुए इसको देश का सबसे प्यारा और गाँव पर निर्धारित एक शानदार वेब सीरीज़ में बदल दिया है ।
पंचायत के ऑडिशन से किया था मना
अशोक कहते हैं कि 'पंचायत के इस रोल को लेकर मैं निराश था क्योंकि शुरुआत से ही मुझे कभी सिक्योरिटी गार्ड तो कभी ड्राइवर का रोल मिला, मुझे कुछ अलग करना था और इसी वजह से मैं पंचायत में विनोद का किरदार नही निभाना चाहता था, क्योंकि मुझे ये भी उन सब रोल्स के जैसा ही लगा। अशोक कहते हैं कि, कास्टिंग के लोग मेरे अच्छे दोस्त हैं तो मैं उन्हें इसके लिए मना भी नही कर पाया
मेहनत कर हल निकलेगा, आज नही तो कल निकलेगा
अशोक ने पंचायत 2 के किरदार विनोद के ऑडिशन लिए वीडियो बना कर कास्टिंग टीम को मेल कर दिया, कुछ दिनों बाद उन्हें ये पता चला कि उस किरदार के लिए उन्हें ही चुना गया है । एक इंटरव्यू में अशोक ने कहा कि मैंने कभी किसी काम के लिए मना नही किया लेकिन मुझे फ़िर से एक छोटा रोल नही करना था, पर शायद ये नियति थी, ये होना था, जिसके ना होने पर शायद पंचायत की कहानी अधूरी रह जाती, लोगों की हंसी अधूरी रह जाती। लोग शायद विनोद के बारे में गूगल पर सर्च नही कर पाते।
रुई बेचकर भी किया है गुज़ारा
शिखर पर पहुँच जाना आसान नहीं होता है। सफ़र में हमारे गिर जाने, बैठ जाने और थक जाने से फ़र्क नही पड़ता, फ़र्क इससे पड़ता है कि हम दोबारा उठते हैं या नही। अपने परिवार की रोज़ी रोटी चलाने के लिए अशोक ने दसवीं कक्षा से ही रुई बेचने का काम शुरू किया। उन्होने अपने साइकिल से घूम-घूम कर रुई बेचने का काम शुरू किया, और दिन के 100 रुपये कमाने लगे। बारहवीं पास करने के बाद अशोक के स्टील फैक्ट्री में नौकरी लग जाने से परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आ चुका था। यहीं से उन्होंने थियेटर की शुरुआत की और तब से अब तक अभिनय की दुनिया में हैं ।
11 साल पहले अभिनय की दुनिया में रखा कदम
साथ में महज़ 40,000 रुपये के साथ 11 वर्ष पहले अशोक मुम्बई आ गए, वो पैसे उनके पास आज भी बचे हैं । वो जिस दौरान मुम्बई पहुँचे थे तब बिहारियों को वहां से भगा दिया जाता था । वे डर कर वापस बिहार आ जाना चाहते थे लेकिन दोस्त के कहने पर वे वहीं ठहर गए और मेहनत जारी रखी । उसी दौरान उन्हें एक गाने की रिकॉर्डिंग मिली जिसके लिए उन्हें 2500 रुपये दिए गए। फिल्मों में उनकी करियर की शुरुआत बिट्टू बॉस फ़िल्म से हुई जिसके पहले अशोक ने कई छोटे मोटे रोल किये
जो होता है उसे होने देना चाहिए
कभी चौकीदार तो कभी चोर उच्चके का किरदार कर के परेशान अशोक पाठक को हमेशा एक ऐसा किरदार चाहिए था जिसमे वो अपनी काबिलियत दिखा पाएं। अगर उन्होंने अपने जीवन में ड्राइवर और चौकीदार जैसे किरदार नही किए होते तो शायद पंचायत में उनके किरदार विनोद को उतनी प्रसिद्धि नही मिलती। विनोद के किरदार के लिए ज़रूरी रंग-रूप, और उस कैरेक्टर को पकड़ पाने का तजुर्बा उनके पिछले कामों की ही देन है। अशोक कहते हैं कि मैं चाहता था कि अपने घर वापस लौट जाऊं, बस इंतेज़ार का रहा था कि मेरे 40,000 रुपये कब खत्म होंगे, लेकिन ना पैसे खत्म हुई, ना ही मेरी उम्मीद, आज 11 सालों के बाद लोगो का प्यार देख कर बहुत खुश हूँ
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